चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि सुखी जीवन सब व्यतीत करना चाहते हैं लेकिन उसका रास्ता बनाने के लिए कोई आगे नहीं बढ़ता। जीवन मे सांसारिक सुख असल सुख नहीं बल्कि आत्म सुख असली सुख होता है। आत्मा का सुख पाने के लिए धर्म के मार्ग में थोड़ी मेहनत करने की जरूरत है।
सांसारिक सुख तो आते जाते रहेंगे पर आत्मा का सुख एक बार आ गया तो वापस नहीं जाएगा। जीवन मे आगे जाना है तो आत्म सुख के लिए प्रयास करें। साध्वी सुविधि ने कहा कि मनुष्य की चाहे फोटो अच्छी हो या न हो पर उसके अंदर के एक्सरे सही होने चाहिए। फोटो मनुष्य की बाहरी दुनिया की तरह होती है जो हो या न हो कोई फर्क नही पड़ता।
लेकिन एक्सरे जो कि मनुष्य की अंतकरण होती है उसमें अगर कोई परेशानी आ गई तो जीवन बेकार हो जाता है। उन्होंने कहा कि बाहरी दुनिया वाले साथ हो न हो, धन दौलत हो न हो कोई फर्क नही पड़ेगा और इसे आसानी से कमाया जा सकता है।
लेकिन अन्तरात्मा अगर शुद्ध न हुई तो जीवन का कोई महत्व नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य के पास जो है उसके साथ वह अच्छा कार्य कर सकता है। अगर धन मिला है तो उसका सदुपयोग कर सकता है। मनुष्य की यही अच्छाई उसके अंत:करण को शुद्ध करेगी। चाहे अच्छी चीजें मिले या न मिले पर मनुष्य को अच्छा इंसान तो जरूर बनना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जो अच्छा कार्य करता है वो अच्छा हो ये जरूरी नहीं हो सकता। लेकिन अच्छा इंसान जो भी करेगा वो अच्छा ही करेगा। इसलिए मनुष्य अपने अंतकरण के एक्सरे को एक अच्छा इंसान बन कर जीवन बदल सकता है। राम, रावण और कृष्ण, कंस की राशि भले ही एक थी, पर काम दोनों के अलग थे। वर्तमान में लोग राम और कृष्ण को पूजते हैं लेकिन काम रावण का कर रहे है।
जीवन में ऊंचाइयों पर जाना है तो अच्छे लोगो के बारे में सुनने के साथ वैसा बनने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि ऊपर से राम और अंदर से रावण बनेंगे तो अंतरात्मा साफ नहीं होगी। जब तक मनुष्य की एक्सरे क्लियर नहीं होगी तब तक जीवन सफल नहीं हो सकता है। जीवन को सफल करना है तो अच्छा इंसान बनना होगा।