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अंजनशलाका प्रतिष्ठा एवं दस दीक्षा- पंन्यास पदवी महोत्सव हुआ

अंजनशलाका प्रतिष्ठा एवं दस दीक्षा- पंन्यास पदवी महोत्सव हुआ

आचार्य तीर्थ भद्रसूरिश्वर की निश्रा एवं किलपाॅक श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ के तत्वावधान में आगामी श्री मुनिसुव्रत स्वामी जिनालय की भव्य अंजनशलाका प्रतिष्ठा एवं दस दीक्षा- पंन्यास पदवी महोत्सव के चढावों का कार्यक्रम रविवार सुबह किलपाॅक स्थित एससी शाह भवन में हुआ।

इस अवसर पर महोत्सव के निमित्त विधि विधान और मंत्रोच्चार के साथ चढावों की जाजम बिछाई गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। मुंम्बई के नरेन्द्र वाणीगोता ने संगीतमय प्रस्तुति देकर देर शाम तक चढावे के कार्यक्रम में समां बांध दिया।

संघ के सचिव युवा रत्न नरेन्द्र श्रीश्रीमाल ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि चेन्नई धर्म और समाज के  ऐतिहासिक कार्य करने वाली भूमि है। हमारे वडील 25 वर्षों से किलपाॅक में जिनालय का सपना देख रहे थे, जो अब पूरा होने जा रहा है।
सात महीने में उपाश्रय बनकर खड़ा हो गया। पहली बार चेन्नई में एक साथ 10 दीक्षाएं हो रही। महोत्सव के संयोजक शासन रत्न रमेश मुथा ने भी अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी।
इस अवसर पर आचार्य ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन की एक रेल यात्रा का उदाहरण देते हुए बताया कि आइंस्टीन की एक रेल यात्रा के दौरान टिकट गुम होने से वे परेशान हो उठे।
टीटीई ने उनको चिंता न करने को कहा लेकिन आइंस्टीन ने जबाब में कहा टिकट नहीं होने के कारण चिंतित नहीं हूं, मुझे कौनसे स्टेशन पर उतरना है यह नहीं मालुम। आचार्य ने कहा आज हमें पता नहीं है कि हमें कहां जाना है। वन नदी के पानी के प्रवाह की तरह जा रहा है। लेकिन हमें कहां पहुंचना है यह पता नहीं। महापुरुषों ने इसका सरल रास्ता बताया है।
परमात्मा के साथ अपना कनेक्शन कर दो, संबंध जोड़ दो फिर हमें कहीं जाने की जरूरत नहीं है, परमात्मा हमें ले जाएंगे। समग्र संघ को आज परमात्मा से जुड़ना है। सुलसा, श्रेणिक महाराजा का हृदय का तार महावीर भगवान से जुड़ गया और उन्हें अपना पद मिल गया। आज परमात्मा के साथ भागीदारी करनी है। परमात्मा का दिया हुआ उन्हें वापिस समर्पित करना है।
उन्होंने कहा शास्त्रकारों ने बताया कि प्रतिमा भराने से यहां या भवांतर में सम्यक दर्शन की प्राप्ति निश्चित है। उसी तरह परमात्मा के परिवार के साथ रिलेशन जोड़ना है। उसका फल भवांतर में तीर्थंकर कुल में जन्म के रुप में मिलेगा। यह पुण्यार्जन करने का आज  अवसर मिला है। पूरे दक्षिण भारत में इस महोत्सव के दर्शन करने की भावना पैदा हो जाए, ऐसी सुवास फैलाना है।
उन्होंने कहा यह परमात्मा की भक्ति करने का अवसर है जिसे आपको भुनाना है। कोई भी तीर्थंकर बनने से पहले मुनि बनते हैं। उन्हीं 10-10 मुनि की दीक्षा का अवसर आज यहां आया है। मुनि पद के साथ पंन्यास पद भी जुड़ा है।
यह अनुमोदना करने का स्वर्णिम मौका है। आज चूक गए तो सारी जिंदगी अफसोस करते रह जाओगे। आपने दुनिया में बहुत रिश्ते जोड़े, अब परमात्मा से रिश्ता बनाकर देखो। प्रतिमा के हजारों लाखों लोग दर्शन कर अपने भव को तारेंगे यह उसकी वेल्यू है।
मुनि तीर्थ तिलकविजय ने कहा कि 25 वर्ष पहले एक महात्मा ने आकर यह कार्य किया अब उनके प्रतिनिधि यहां आकर यह कार्य कर रहे हैं। परमात्मा की भक्ति की शुरुआत जाजम महोत्सव से करेंगे।
कार्यक्रम में  बहुमान, प्रतिमा भराने, गर्भगृह प्रवेश, पंचकल्याणक के पात्रों, नवकारशी, फले चुंदड़ी, विविध महापूजन, दीक्षा महोत्सव निमित्त भव्य नाटिका, दीक्षार्थियों का वरघोड़ा, आंगी- रोशनी, प्रभुभक्ति एवं विविध विशिष्ट लाभ के चढावे बोले गए। लाभार्थी ओस्तवाल परिवार के आवास पर 12 अक्तूबर को सायंकालीन प्रभुभक्ति का आयोजन किया गया।
कल सुबह 8 बजे जाजम बिछाने के लाभार्थी संघवी सुन्दरबाई प्रकाशचंद कमलादेवी ओस्तवाल परिवार के बार्नाबी रोड़ स्थित आवास से एससी शाह भवन तक गाजे बाजे के साथ जाजम का वरघोड़ा निकाला गया। जिसमें आचार्य एवं अन्य साधु साध्वी एवं श्रद्धालु  सम्मिलित हुए।

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